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Wednesday, May 14, 2014

गौरीकुंड में पसरा श्मशान का सा सन्नाटा

देहरादून से जब मैं केदारनाथ यात्रा के लिए रवाना हुआ तो रुद्रप्रयाग तक के 170 किलोमीटर के सफर में मन में तरह-तरह के सवाल थे। अब किस हाल में होगी केदारघाटी। क्या ध्वस्त हो चुकी सड़कें दुबारा पुराने हाल में आ चुकी होंगी। क्या सूने पड़े बाजार आबाद हो चुके होंगे। या फिर सबका-सब वैसा ही होगा, जैसा मैंने ग्यारह माह पहले देखा थ




via जागरण धर्म समाचार

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