ईश्वर व्यष्टियों की समष्टि है और साथ ही वह एक व्यष्टि भी है, ठीक उसी प्रकार जैसे कि मानव-शरीर इकाई होते हुए भी कोशिकाओंरूपी अनेक व्यष्टियों की समष्टि है। समष्टि ही ईश्वर है और व्यष्टि ही जीव है अतएव ईश्वर का अस्तित्व जीव के अस्तित्व पर निर्भर है जैसे कि शरीर का अस्तित्व कोशिकाओं पर और इसका विलोम भी सत्य है।
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