मंदिर हमारे भीतर ही है। इस मंदिर में प्रतिमा, आरती, प्रसाद, शिखर, ध्वजा आदि क्या हैं? मोरारी बापू का चिंतन.. गोस्वामी तुलसी दास ने शास्त्र सम्मत मंदिर हमारे सामने रखा और वह है मन-मंदिर। प्रत्येक व्यक्ति का मन एक मंदिर है। अब मंदिर है, तो मूर्ति भी होनी चाहिए। पुजारी भी होना चाहिए, शिखर होना चाहिए, ध्वजा, आरती व प्रसाद भी होना चाहिए
via जागरण धर्म समाचार
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