नंदा पथ के आखिरी गांव वाण से ही लगने लगा था कि आगे की राह आसान नहीं। जिन अधिकारियों को प्रशासन ने व्यवस्थाएं बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी, वो कहां हैं किसी को नहीं मालूम। होगा भी कैसे, नेटवर्क जो नहीं मिल रहा। वह तो गनीमत है कि लाउडस्पीकर से सूचनाएं प्रसारित हो रही हैं। अन्यथा बड़ा मुश्किल था। बहरहाल!
via जागरण धर्म समाचार
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