गैरोलीपातल की अनुभूति बहुत अच्छी नहीं रही। जब हम वहां पहुंचे तो बारिश शुरू हो चुकी थी। ठहरने की मुट्ठीभर व्यवस्था देख मन व्यथित हो गया। ठंड भी काफी बढ़ गई थी। अब हमारे पास एक ही चारा था कि वेदिनी की राह पकड़ लें। गैरोली में रुकने का मतलब था रात खुले आसमान के नीचे ठिठुरते-ठिठुरते गुजराना। अन्य याि
via जागरण धर्म समाचार
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