जैन धर्म के पुराणों के अनुसार क्षमा धरती का वरदान है। राग, द्वेष व प्रतिशोध का किसी के पास भी हल नहीं है। मनुष्य को सहज भाव से अपनी भूलों का पश्चाताप करना चाहिए और दूसरों के साथ-साथ अपने आपको भी क्षमा करते हुए अपने कर्मों को सुधारना चाहिए। इसलिए ...
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