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Wednesday, May 1, 2013

दयानंद सरस्वती ने समाज को नई दिशा दी

जहां नरसी मेहता, सरदार पटेल, महात्मा गांधी का जन्म हुआ, उसी गुजरात में 1825 ई. को टंकारा ग्राम में ब्राह्मण कुल में कर्षण तिवारी और यशोदा बाई के आंगन में एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम मूलशंकर रखा गया। एक शैव भक्त जमींदार परिवार में जन्म लेने वाले मूलशंकर के बचपन में कई घटनाएं हुईं। शिवरात्रि को मूर्तिपूजा से अनास्था, चाचा और बहन की मौत ने इनकी जिंदगी पर गहरा असर डाला। वे दयानंद के रूप में संन्यासी बन गए। गुरु विरजानद से उन्होंने व्याकरण, योग, धर्म-अध्यात्म का ज्ञान प्राप्त किया। मथुरा में शिक्षा पूरी कर दयानंद का सारा जीवन वेद, दर्शन, धर्म, भाषा, देश, स्वतंत्रता, समाज की बदतर हालात को सुधारने, समाज में फैले अंधविश्वासों, पाखंड़ों और बुराइयों को खत्म करने में समर्पित हो गया।



via जागरण संत-साधक

http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-dayanand-saraswati-gave-new-direction-to-the-society-10351289.html

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