सावन के दूसरे सोमवार को काशी में भक्ति गंगा प्रवाहित हुई। पुण्य सलिला के समानांतर मनोकामनाओं की अविरल धार, दोनों उफान पर। जाह्नवी घाटों का दायरा लांघ खेत खलिहान और मकान तक तो दूसरी धार की प्रकृति श्रद्धा और आस्था के रस में पगी। इसकी हिलोरें शिवालयों में समाईं तो जन जन का तन मन तक भिगो आयीं। हर हर प्रवाह द
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-n-the-book-of-devotion-edge-shiwalyon-10625690.html
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