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Monday, October 28, 2013

'कंचन कलस बिचित्र संवारे। सबहिं धरे.द्वारे।'

'कंचन कलस बिचित्र संवारे। सबहिं धरे सजि निज निज द्वारे। बंदनवार पताका केतू। सबन्हि बनाए मंगल हेतू।' अर्थात सोने के कलशों को सजाकर सब लोगों ने अपने-अपने दरवाजों पर रख लिया। सब लोगों ने मंगल के लिए बंदनवार ध्वजा और पताकाएं लगाईं। श्रीरामचरित मानस में यह जिक्र भगवान श्रीराम के रावण वध के उपरांत अयोध्या आगमन का है। गो




via जागरण धर्म समाचार

http://www.jagran.com/spiritual/religion-kanchan-bicitr-snware-pitcher-sbhin-via-arrested-10826932.html

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