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Monday, October 28, 2013

आभार और गुहार का सागर बना राधाकुंड

दिव्यता भरी आभा बिखेरता दरबार, चांदनी की शीतलता बिखेरता चंद्रमा, सर्दी की दस्तक देती ठंडी हवाएं, कुंड के बीचों बीच कमल पर विराजमान राधारानी, करुणा भरी निगाह से सूनी गोद का दर्द बयां करते श्रद्धालु, संतान की चाहत में राधाकुंड में गोते लगाने की उत्सुकता। आस्था की इसी फिजा में गुहार पुकारती रही।




via जागरण धर्म समाचार

http://www.jagran.com/spiritual/religion-10826917.html

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