वैवाहिक जीवन में कर्तव्यों के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी होनी चाहिए। यदि दांपत्य जीवन में अहंकार आड़े आएगा, तो एक-दूसरे के प्रति संबंध आत्मीयतापूर्ण नहीं होगा। अहं को तिलांजलि देकर संबंधों में मधुरता घोलें। विवाह पंचमी (7 दिसंबर) पर डॉ. हरिप्रसाद दुबे का आलेख.. मार्गशीर्ष
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-vivah-panchmi-broken-bow-ego-10915688.html
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