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Monday, March 10, 2014

विश्वनाथ मंदिर: रंगभरी एकादशी को दो आरतियों का समय बदला

घिसते-घिसते नौका के आकार में आ चुकी सिल पर रपटता लोढ़ा जब गहरी लसान के चलते भारी सिल को चुंबक की तरह अपने साथ अधर में उठा लेता है तो पप्पू महाराज (दशाश्वमेध वाले) का चेला बमबमवा गुरु को जोरदार हांक देता है- महराज ! तइयार हौ विजया रानी क बाना, अब आवा 'बाबा' के भोग लगा के बूटी छाना। इस पुकार से रंगभरी ए




via जागरण धर्म समाचार

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