हनुमान कर्म के देवता हैं और बल, बुद्धि, विद्या के प्रतिरूप भी। इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं, 'बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार।' कहने का मतलब यदि मनुष्य को यह तीनों चीजें मिल जाएं तो विकार स्वयं ही दूर हो जाते हैं। कहते हैं पवनपुत्र जैसा कोई नहीं। भक्त तो कई हैं, लेकिन जो बात रुद्रावतार हनुमान में है, वो किसी में
via जागरण धर्म समाचार
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