पौ फटने से पहले ही घंटा-घड़ियाल की मधुर ध्वनियां वातावरण में रस घोलने लगीं। पारंपरिक पकवानों की भीनी-भीनी महक हवा में मिठास पैदा कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे नंदाधाम में रात हुई ही नहीं। महिलाएं, बच्चे, बूढ़े, जवान सभी तैयारियों में जुटे हैं। भावनाओं का ज्वार हिलोरें ले रहा है। हर किसी को
via जागरण धर्म समाचार
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