पूरे विश्व में गया ही एक ऐसा स्थान है, जहां सात गोत्रों में 121 पीढि़यों का पिंडदान और तर्पण होता है। यहां पिंडदान माता, पिता, पितामह, प्रपितामह, प्रमाता, वृद्ध प्रमाता, प्रमातामह, मातामही, प्रमातामही, वृद्ध प्रमातामही, पितृकुल, मातृकुल, श्वसुर कुल, गुरुकुल, सेवक के नाम से किया जाता है। यहां विभिन्न वेदियों पर पूरे 15 दिनों तक पिंडदान करना श्रेय
via जागरण धर्म समाचार
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