17 दिवसीय गया श्राद्ध के द्वितीय दिवस को ब्रह्म कुंड एवं प्रेतशिला पर श्राद्ध से प्रेत योनि को प्राप्त पितर मुक्ति पाते हैं। अग्नि, जल, सर्पदंश आदि से मृत्यु को प्राप्त प्राणी तथा अकाल मृत्यु को प्राप्त करने वाले प्राणी प्रेत योनि में जाते हैं। प्रेत कभी पृथ्वी का स्पर्श नहीं करता है। उसमें अग्नि, वायु एवं आकाश तत्व ही होते हैं। प्रकाश में उसकी छाया ि
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