हिलोर भरता मस्ती का समंदर, खुशबू फैलाते बरसते फूल, झूम कर झोके लेती बसंती बयार। चहुंओर उड़ रहे गुलाल के बादल, जगह-जगह बह रहा रंगों का दरिया। ढप, ढोलक, झांझ मजीरों की सुरीली धुन पर इठलाती गेहूं की बालियां। गाने, बजाने, रंगने के आनंद में पकवानों की महक। जिस जहां का ये समां हो उसे ही तीन लोक से न्यारी का
via जागरण धर्म समाचार
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