पूरा पहाड़ नंदा का है और नंदा पूरे पहाड़ की। तभी तो वह कहीं नदी व पहाड़ के रूप में दिखती है तो कहीं नगर व पर्वत श्रृंखलाओं के। वह नंदाकोट भी है और नंदाभनार भी। नंदाघूंघट, नंदाकिनी और नंदप्रयाग भी वही है। वह पूजी जरूर मंदिरों में जाती है, लेकिन वास लोक के हृदय में करती है
via जागरण धार्मिक स्थान
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