मायके के अंतिम गांव भगोती में रात्रि विश्राम के बाद कुटुंबीजन नंदा को कुलसारी के लिए विदा करते हैं। भगोती में केदारु देवता की छंतोली यात्रा का हिस्सा बनती है और सीमा पर क्योर गदेरे के पास होता है किमोली व नैंणी की छंतोलियों का मिलन। यहां पर भगवती कई घंटों के अनुनय-विनय के बाद क्योर गदेरा पार कर ससुराल क
via जागरण संत-साधक
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