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Saturday, September 6, 2014

इसी स्वप्नलोक में रचे गए थे वेद

गैरोलीपातल से सिर्फ तीन किमी के फासले पर है वैतरणी, जिसे अब वेदिनी बुग्याल, वेदिनी कुंड नाम से भी पुकारा जाता है। पश्चिमी-उत्तरी ढलान पर फैला मखमली हरी घास का यह खूबसूरत मैदान सप्तमी पूजन के लिए पहली बार राजजात का पड़ाव बनाया गया है। समुद्रतल से 11004 फीट की ऊंचाई पर अवस्थित यह पड़ाव ही सर्वप्रथम नंदा घुंघटी व त्रिशूल




via जागरण संत-साधक

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