गढ़वाल व कुमाऊं के कत्यूर हों, कुमाऊं के शासक चंद या गढ़नरेश, सभी ने भगोती नंदा के सामने हमेशा श्रद्धा से शीश नवाया। कत्यूरी राजा खुद को नंदा का सेवक कहलाने में गर्व का अनुभव करते थे। उनका विश्वास था कि भगवती नंदा के अनुग्रह से ही उन्हें राजलक्ष्मी की प्राप्ति हुई है। कत्यूरी नरेश
via जागरण धर्म समाचार
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