तन की आंखें भले ही प्रकृति के सौंदर्य को न निहार पा रही हों, लेकिन मन की आंखों में नंदा पथ गहरे तक समाया हुआ है। तभी तो मार्ग की दुश्वारियों जानते-बूझते यह दृष्टिहीन युवक बढ़े चला जा रहा है उन ऊंचाइयों की ओर, जहां प्रकृति एवं पुरुष एकाकार हो उठते हैं। ग्राम सिमली (कण
via जागरण धर्म समाचार
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