रंग पथ अब सौंदर्य पथ में तब्दील हो गया है। जैसा स्नेह अब तक बेटी पर मायके वालों का बरस रहा था, वैसा ही बहू पर ससुराली भी लुटा रहे हैं। कुलसारी से चेपड़्यूं की ओर बढ़ते हुए ऐसी ही अनुभूति होती है। समुद्रतल से 12
via जागरण संत-साधक
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